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तिनको के नशेमन तक इस मोड़ से जाते हैं: आंधी (1975)

Reviewed by: सुधा उपाध्याय,
“मुझसे पूछा गया था कि आप महिलाओं को इतनी अच्छी तरह समझते हैं इसलिए आप फिल्में बनाते हैं। मैंने कहा कि मैं उन्हें नहीं समझता, मैं उन्हें बेहतर तरीक़े से समझना चाहता हूँ, इसलिए मैं महिलाओं पर फिल्म बनाता हूं”- गुलज़ार

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